SANDESH QALAM

क़लम के साथ समझौता नहीं , मुझे लिखना है

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Saturday 1 May 2021

May 01, 2021

आखिर पूर्व सांसद ,बाहुबली से प्रसिद्ध राजनेता मो0 शहाबुद्दीन से ज़िंदगी ने वफ़ा न किया ।

राजद के कद्दावर नेता पूर्व सांसद मो0 शाहबुद्दीन नही रहे 

राजद के कद्दावर नेता, सिवान के पूर्व सांसद मो0 शहाबुद्दीन के इंतेक़ाल की खबर जैसे ही आज सुबह मीडिया में  आई ,उनके चहेतों में गम की लहर दौड़ गयी , उनके चाहने वालों ने अपने अपने sourse से सूचना प्रप्त करने में लग गए , फिर कुछ ही पल में उनकी मृत्यु की खबर का खंडन तिहाड़ जेल प्रबंधन की ओर से किया गया , ANI की Twitter से खबर प्रकाशित हुई थी ,जिस का प्रसारण ZEE बिहार झारखंड एवं News 18 आदि ने किया । तत्काल खबर की सत्यता की पुष्टि नही हो पाई जिस के कारण ,दोबारा से न्यूज़ चैनल ने खबर का खंडन किया , 
यहां एक बात हम बताते चले कि ANI ने सब से पहले खबर ट्वीट किया वह शहाबुद्दीन के परिवार से ही लीक हुआ था । सूत्रों की मानें तो शहाबुद्दीन का इंतेक़ाल सुबह में ही हो चुका था ,परन्तु एक बड़े राजनेता उस पर कोरोना संक्रमित होना और भी सरकारी प्रोटोकॉल जिस के कारण आनन फानन में उनके इंतेक़ाल की सूचना को सार्वजनिक नही किया गया । खैर वही हुआ जो पहले लोगों ने सुना था , हम ने स्वयं खंडन किया था , 
शमीम क़मर रेेयाज़ी उनकी पत्नी हिना शहाब के साथ

   शहाबुद्दीन  की मृत्यु की घोषणा दिल्ली से लेकर बिहार के राजनीतिक ,प्रशासनिक अधिकारियों ने कर दी है । याबी शहाबुद्दीन नही रहे । उनके आत्मा की शांति और रूह को सुकून मिले , इस्लामिक धर्म के अनुसार मरने वाले कि अच्छाईयों का ज़िक्र किया जाना चाहीये , चाहे वह बुरा ही क्यों न हों , सोशल मीडिया पर अपना आपा खो देने वाले भक्तों से अनुरोध है कि कोई भी स्नेह ,मोहब्बत में टिप्पणी ऐसी न करें जिस से कोई दूसरा धर्म ,समाज,इंसानियत शर्मिंदा हो । 
मौत ऐसी हो कि दुनिया देर तक मातम करे । 
शमीम कमर रेयाज़ी की कलम से 

Friday 30 April 2021

April 30, 2021

TV Channel पर रोजाना दंगल करने वाला जीवन के दंगल में खुद हार गया , रोहित सरदाना









Ajtak TV channel के anchor  रोहित सरदाना अब इस दुनिया मे नही रहे , उनकी मृत्यु का कारण सूत्रों की माने तो हिर्दयगति थमने से हुई है ,वह कोरोना संक्रमित भी थे । 
मुझे मालूम है कि मेरे इस पोस्ट से मेरे कुछ खास दोस्त असहमत होंगे , लेकिन यही सच्चाई है आज रोहित हमारे बीच नही रहे , दिनभर के सोशल मीडिया पोस्ट का आंकलन किया जाए तो हम इस नतीजे पर पहुंचेंगे की रोहित सरदाना ने जिस सिस्टम की गुलामी की उस सिस्टम के वफ़ादार रहे , चाहे वह पत्रकारिता की गरिमा को ताक पर रख कर किसी विशेष समुदाय को हमेशा टारगेट करते रहे , मगर इस के पीछे उनकी मजबूरी भी होसकती है जो अपने ज़मीर का सौदा करते रहे , 
       इस तस्वीर को ध्यान से देखिए उनकी यह बच्चियां बेस्ट dad का केक काट अपने पिता की लंबी उम्र की दुआएं मांग रही हैं , रोहित सरदाना ने हमेशा समाज में नफरत फैलाने वाले एकता अखंडता को तोड़ने वाले प्रोग्राम का संचालन किया , उनकी रोज़ी रोटी का साधन वही था , परन्तु हमे यह नही भूलना चाहिए कि रोहित सरदाना अपनी निजी जीवन मे एक पिता एक पति एक बेटा एक भाई भी थे । शायद प्रोग्राम होस्ट करने के बाद दिल मे उनके भी पछतावा होता हो , ऊपर वाला जाने , आज आजतक tv चैनल पर कुछ उनके सहभागी Anchors को रोते हुए भी देखा , इंसानियत के नाते अफसोस हुआ , उन बच्चों की तस्वीर ने मुझे बहुत निढाल किया जो अपने पिता को अब तस्वीरों में देख पाएंगे । 
भावपूर्ण श्रद्धांजलि ,आपकी आत्मा को शांति मिले
और परिवारजनों के लिए संतोष की कामना 
शमीम कमर रेयाज़ी की कलम से ।

Thursday 2 April 2020

April 02, 2020

भारत में केवल मुसलमानों से ही कोरोना फैलता है ?

कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी की जंग में जहां पूरा विश्व इस से आज़ादी और उपचार खोजने में व्यस्त है ,और संसार का हर एक मीडिया चाहे सोशल हो इलेक्ट्रॉनिक हो,प्रिंट हो लगभग सभी का मोटो एक ही था कि कैसे इस भयावह परिस्तिथि में कोरोना से बचाव की जंग जीती जाए,वही दूसरी ओर भारतीय दलाल मीडिया का टी आर पी  गिरती जारही थी,चूंकि भारतीय मीडिया का टी आर पी धार्मिक बहस ,एवं रंग पर ही निर्भर है ,उनके पास कोई धार्मिक मिर्च मसाले वाली खबर का न होना आकाल जैसे लगने लगा था इस परिस्तिथि में कुछ चैनलों ने रामायण ,महाभारत दिखाना शरू कर दिया उसके बाद क्या था तिलमिलाई भारतीय मीडिया को इस कॉरोना जैसी महामारी में एक मुस्लिम विरोधी संसनी खेज खबर की जरूरत थी|  जो कुछ दिनों से अभी मिल नहीं पा रही थी अब ऐसे में तब्लीगी जमात के हेड क्वार्टर निज़ामुद्दीन मरकज़ में लॉकडाउन में फंसे लोगो का मुद्दा मिलते ही यूं लगा जैसे वर्षों बाद कोई शिकार हाथ लग गया हो , अब क्या था सब ने अपने अपने तरीके से इस मुद्दे को पकाना शुरू किया ,किसी ने कोरोना जिहाद,किसी ने धर्मी का अधर्म, किसी ने कोरोना फैलाने की साजिश कहा बस क्या था यह खबर संसनी बन कर आग की तरह फैलना शुरू हुआ | अब इस स्थिति में दिल्ली के सैकुलर मुख्यमंत्री कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल का भी मुस्लिम विरोधी चेहरा सामने आया और केजरवाल ने मरकज़ के मौलानों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी जारी किया| देश की दोहरी सियासत करने वाले राजनेताओं एवं चाटुकार मेडियकेर्मी हों सब अपने बिल से बाहर निकलना शुरू कर दिए है। भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तब्लीगी जमात वालो को कारोना फैलाने वाली साजिश का एक मुद्दा बनाया।
 लॉकडाउन की स्थिति में भारत के सैकड़ों मंदिरों में लोग इस लॉकडॉउन में फंसे हुए हैं जिन्हें उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने का प्रयास जारी है चाहे काशी हो मथुरा हो तिरूपति हो विष्णु देवी हो,इनमें सैकड़ों लोगों के होने से कोरोना नहीं फैलेगा ?
दिल्ली यूपी बार्डर पर लाखों मजदूर दिल्ली छोड़कर रास्ते पर निकले इन लोगो ने सोशल डिस्टेंस मेंटेन नही किया, इनलोगों ने एक दूसरे को संक्रमित किये या नही, इनसे कारोना फैलेगा या नहीं ? दिल्ली से गुजरात सैकड़ों मजदूर पहुंचे और उनके जरिए कारोना गुजरात नहीं पहुंचा यह भी सोचने वाली बात है , योगी आदित्यनाथ अपने दल बल के साथ अयोध्या मे पहुंचे हैं और पूजा अर्पण किया मंदिर में पहुंच के क्या ये सोशल डिस्टेंस मेंटेन किये इनके वजह से कारोना फैलेगा या नहीं ? 20 मार्च को भोपाल में हजारों कार्यकर्ता एक साथ जमा होते हैं क्या उनसे कारोना फैलेगा या नहीं ? पीएम  मोदी जी के चेतावनी के बाद भी भारत के एक राज्य में बीजेपी की सरकार बनती है सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाई जाती है इस लोकडाउन मे हजारों हजार लोग एक जगह जमा होते हैं क्या इन से कारोना फैलेगा या नहीं ? कर्नाटक के मुख्यमंत्री योदुरप्पा इस लोकडाउन मे विवाह पार्टी में शामिल होते है इससे कारोना फैलेगा या नहीं ?
 पूछने के लिए सवाल अनगिनत है लेकिन सारे सवाल का जवाब कोन देगा, इन सारे सवालों का जवाब बस केवल यही है की बनारस के काशी का मन्दिर हो या मथुरा का मन्दिर हो या कटरा का माता विष्णु देवी मन्दिर हो इन सब में श्रद्धालु फंसे हुए हैं और दिल्ली की मरकज तब्लीगी जमात के इनमें अगर मुसलमान  फंसे हुए है तो ये फंसे हुए नहीं है बल्कि छिपे हुए है ये दोगली नीति है हमारे राजनेताओं, मीडियाकर्मी ,भक्तों की जिन को केवल हर चीज़ में मुसलमान ही दिखता है ,हर सुलगते मुद्दे को मुसलमान से जोड़ कर पेश करना ट्रेंड बन चुका है ,ऐसे में सोचनीय है कि हम कोरोना वायरस से लड़ें या मीडिया वायरस से
*Shamim Qamar Reyazi

Thursday 16 January 2020

January 16, 2020

अधिकार की लड़ाई में झुलसता भारत

भारत में आजकल नागरिक संशोधन विधेयक के विरोध में संपूर्ण प्रांतों में प्रदर्शन हो रहा है ,और यह प्रदर्शन आसाम से शुरू होते हुए लगभग भारत के सभी राज्यों में इस की झलक देखने को मिल रही है ,ऐसा नही है की यह विरोधी लहर केवल किसी विशेष समुदायिक है । अगर ऐसा होता तो देश के बड़े बड़े नामचीन विश्वविद्यालयों से छात्रों द्वारा निकाली गई शांति मार्च ,एक जन आंदोलन का रूप धारण करते जा रहा है ,यह और बात है कि केंद्रीय सरकार सत्ता एवं प्रशासनिक असर के बल पर उन हज़ारों प्रदर्शनकारियों की ज़बान पर खामोशी के ताले लगाने में विफल साबित हो रही है ।

credit: third party image reference

मीडिया और प्रदर्शनकारी

भारतीय मीडिया की बात की जाए तो इस सत्य से इनकार कोई भी व्यक्ति नही कर सकता है ,जिस प्रकार झूठी और खबरों को तोड़ मरोड़ कर देश के सामने खबरें परोसने का कार्य कर रहा है उस से सामाजिक एवं एकता पर सीधा प्रहार है , मीडिया अपना मर्यादा और विश्वसनीयता को खोता जा रहा और इसका दुष्य परिणाम धार्मिक घृणा और नफरत की दुकान चलाने में व्यस्त है ,यह बात भी किसी से छुपी नही है कि विकाउ मीडिया वही परोसता है जो सरकार चाहती है ,इस से जग जाहिर है कि मीडिया कर्मी अपनी पत्रकारिता के असली वजूद को सरकारी तन्त्रों के हाथों बिक कर अपनी इज़्ज़त की नीलामी स्वयं कर रहा है

credit: third party image reference

हर सांस पे है मौत का पहरा लगा है

जिस देश का संविधान अपने नागरिकों उनके अधिकार की पैरवी करता हो वहां धर्म,जाती,भाषा,संस्कृति की आज़ादी उनके मौलिक अधिकारों में शामिल हो ,वहां बोलने की आज़ादी ,प्रश्न करने की आज़ादी ,प्रदर्शन की आज़ादी पर सरकार अपने बल का प्रयोग कर बर्बरता दिखाती हो वहां कुछ पूछने पर जेल में कई धाराओं के साथ जेल की सलाखों में कैद कर दिया जाता हो ,जहां प्रशासन स्वयम उपद्रव कर मासूम निर्दोषों को बुरी तरह पीटती हों वहां इंसाफ की आवाज़ दम तोड़ देगी ,वहां अदालत से न्याय की आस फ़ुज़ूल है ! छात्र छात्राओं को उपद्रवी कह कर अस्पताल तक पहुंचाया जाता हो ,ऐसे इंसाफ करेगा कौन और किस से न्याय की गोहार लगायेंगे आम नागरिक ,हमें याद रखना होगा कि जुल्म जब हद से गुजरता है तो विश्व का कोई भी कोना हो इंकलाब बरपा होता है ,और इंकलाब हमेशा ऐतिहासिक बदलाव के साथ आता है जो इतिहास के पन्नों में कैद होजाता है।

शमीम कमर रेयाज़ी

स्वतन्त्र लेखक ,समाजसेवी

Email: contactusqrm@gmail.com

Saturday 21 December 2019

December 21, 2019

नागरिकता संशोधन बिल विरोधी आग से झुलसता भारत |


भारतीय नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में सत्याग्रह के लिए प्रसिद्ध गांधी का जिला कहा जाने वाला चंपारण में अब यह विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ता जा रहा है ,






बगहा पश्चमी चंपारण में भी राजद द्वारा निकाले गए विरोध प्रदर्शन की झलक .

Sunday 17 June 2018

June 17, 2018

पिता हमारे वजूद का हिस्सा ..... (पिता दिवस विशेष )


वर्ष का शायद ही कोई ऐसा महिना ,दिन वंचित रह जाता हो जिस दिन कोई न कोई दिवस लोग नहीं मनाते हों , अभी हाल ही में पिता दिवस गुज़रा है . दिवस मनाने के साथ साथ क्या हम कोई संकल्प भी लेते हैं या केवल कुछ लम्हे उन्हें याद कर मोमबत्ती या दीप जला कर कुछ सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख दिया या कोई तस्वीर अपने पिता की टांग कर अपना कर्तव्य पूरा कर लिए . मित्रों दिवस अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए रहता है जिस में बलिदान ,त्याग ,प्रेम ,यादों का मंज़र लिए हमें चीख चीख कर कहता है की हम भी वैसा कुछ करें ताकि हम भी इतिहास के पन्नों पर अपना नाम लिखवा सके , परन्तु यह बात सत्य से कोसो दूर है .

 पिता कौन ?

पिता के हवाले से विश्व भर की पुस्तकालय में मौजूद करोड़ों पुस्तकें पड़ी हुई हैं जिन में पिता के महत्व और उसके वजूद को समझाया गया है , क्या वर्ष का एक दिन ही उस महान व्यक्ति की यादों को याद करने के लिए बना है , और फिर अगले वर्ष तक के लिए कलेंडर की तारीखों में गुम करदेने का नाम पिता है . वह पिता जिस ने अपनी पूरी उम्र ऐसे मजदूर के रूप में गुज़ारा और उस ने कभी भी यह नहीं सोचा की उस की मजदुरी का फल उस को कब मिलेगा . और मिलेगा भी या नहीं . खुद सारा दिन दो जून की रोटी की तलाश में मजदूरी करता है ,मगर खुद उस को कभी परिवार के साथ बैठ कर गरम रोटी खाने को नसीब नहीं होती है . सारा दिन मजदूरी इस कारण करता है की उसकी औलाद सभी तरह के सुख चैन पा सकें . अपनी औलाद की फरमाइश वाली आँखों की हरकत को भी इतनी जल्दी समझ जाता है जैसे की उस की शिक्षा उस ने प्राप्त की हो :



समय गुजरता जाता है और यह मजदूर अपनी उम्र के आखरी पड़ाव में पहुँच जाता है  , बुढ़ापा आजाता है और शाररिक रूप से कमजोरी पाँव की जंजीर बनजाती है . यहाँ अब उसे सहारे की आवश्यकता होती है ,समय के साथ साथ इस मजदूर के बच्चे भी जवान होगये होते हैं ,  और फिर वही इतिहास अपने पिता वाली उसके बच्चे अपने औलादों के लिए दोहरा रहे होते हैं.
समय का सितम देखिये जिस पिता ने दिन रात एक कर के अपने बच्चों को शिक्षित ,रोज़गार के काबिल बनाया अब वही पिता के लिए उन के पास समय नहीं रहता है उन के लिए बोझ बनने लगते हैं . उनकी ज़रूरत को पूरा करने के लिए उन के औलाद के पास समय नहीं रहता है .


जिस औलाद की फरमाइश पर कभी वह मज्द्रुर फिरकी की तरह नाचता था आज उसको वही बच्चे झटक देते हैं , तेज़ आवाज़ में बात करते हैं . ज़रा सोचिये ,,, जिस ने अपनी पूरी उमर बिना फायदे की गवां दी ,.,, आज वह सहारे का मोहताज है . ऐसा क्यों
वह पिता जो कभी अपने छोटे छोटे बच्चों सलाह को भी महत्व देता था आज वह कोई मशवरा नहीं दे सकता है . जिस ने अपनी जान को जान न समझ कर अपने बच्चों की ख़ुशी और उन की बेहतर तालीम के लिए दिन रात एक करदिया . उस को क्या मिला ,
याद रखिये . आप अभी जवानी की रंगीनी ,बीवी बच्चों की मोहब्बत में अपने उस बुढे पिता को नजर अंदाज़ कर रहे हो . जब यह बुढा पेड़ नहीं रहे गा . तब तुम उस पेड़ की छाव को तरसोगे . और हथेली मलोगे ,समय दोबारा नहीं मिलेगा और तुम भी धीरे धीरे उसी पड़ाव पर पहुँच जाओगे .और तुम भी वही दिन देखोगे . जैसा तुम ने अपने बूढ़े ,और असहाय पिता के साथ किया था ,वही ब्योहार तुम्हारे साथ तुम्हारे बच्चे दोहराएंगे . तब तुम को शिद्दत से एहसास होगा की जैसा व्योहार तुम ने किया था वही तुम्हारे साथ हो रहा है .



दोस्तों अभी भी वक्त है आप के माता पिता जीवित हैं तो उन की सेवा कर के दुनया में ही जन्नत कमाँ लीजिये वरना कौन देखा है मरने के बाद जन्नत दोजख . अपने बूढ़े माता पिता की खुशियों के लिए आप से जो बन पाए कीजिये , उन की ज़बान पर उफ़ तक नहीं आने दीजिये ..... माता पिता हमारे वजूद का हिस्सा हैं और उनकी वजह से हम सब दुनया को देख रहे हैं .अगर वह नहीं होते तो आप और हम नहीं होते ............................