SANDESH QALAM

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Wednesday 21 March 2018

आखिर हम ने इराक में 39 भारतियों को खो दिया :



आखिरकार इराक के मोसुल शहर से isis द्वारा चार वर्ष पूर्व 39 भारतियों की बंधक बनाये जाने के बाद बुदुश नामी स्थान पर लेजाकर उन की बर्बर हत्या की गुत्थी सुलझ गई है .और भारतीय सरकार ने जिस तरह से इस पुरे मामले में भारतियों को गुमराह किया अब खुल कर पूरा मामला देश वासियों के सामने आचुका है .अब इराक़ में 39 भारतियों की मौत की पुष्टि के साथ भारत की राजनीतिक गलियारों में लाशों पे सियासत का बाजार गर्म होगई है । एक तरफ विपक्षी दलों का आरोप है की भारतीय सरकार को 39 भारतीय मज़दूरों की हत्या इराक में ISIS द्वारा की जाने की पूरी जानकारी थी ,और सरकार यह मुद्दा 4 वर्ष तक क्यों छुपाती रही यह सोचनीय विषय है इस मुद्दे को इतने वर्षों तक छुपाने के पीछे सरकार का क्या मंशा था .

हरजीत मसीह का बयान सच निकला :
एक ऐसा शख्स जिस ने अपनी आँखों से इन भारतीय मज़दूरों की हत्या का चश्मदीद था उस ने किसी तरह अपनी जान बचाने में सफलता पाई और भारत लौट आया उसने ही विदेश मंत्री को इस और ध्यान आकर्षित किया था तब से अब तक यहाँ प्रकरण चलता रहा।यह शख्स  हरजीत मसीह था ,मगर कल सदन में भारतीय विदेश मंत्री ने उन सारे बंधक बनाये गए 39 भारतियों की मृत्यु की घोषणा की वही हरजीत मसीह के पूर्व में दिए ब्यान को भी झूठा बताया.मगर हरजीत मसीह आज भी अपने ब्यान पर कायम है और हरजीत मसीह का कहना है की जो हम ने कहा था चार वर्ष के बाद भी सच साबित हुआ और विदेश मंत्री द्वारा मुझे झूठा बताना निंदनीय है :

विदेश मंत्री द्वारा सदन में सफाई :
 भारतीय विदेश मंत्री श्रीमती शुष्मा स्वराज ने सदन में इराक संस्करण को ब्यान करते हुए कहा की भारतीय सरकार 4 वर्ष से लगातार अपने 39 नागरिकों की खोजबीन की हर मुमकिन प्रयास कर रही थी ,परन्तु जब तक कोई ठोस शाक्षय प्राप्त नही होपाता यह हमारे लिए संभव नहीं था की अपने नागरिकों को मृत्यु घोषित करते, हमारी आस बन्धी हुई थी की हमारे लोग जीवित हैं । इसी कारण हम किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहे थे ,विदेश मंत्री ने कहा की आज हमारे पास पुख्ता सबूत है की अब हमारे 39 भारतिय जीवित नही हैं और उनके पर्थिव शरीर को भारत लाने की प्रक्रिया तेज़ होगई है ।

आगे क्या होगा : 
एक तरफ जहाँ मृत्य परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है वही मृत्यु परिजन एवं विपक्षी दलों का आरोप है की 39 भारतियों की हत्या की सुचना वर्तमान सरकार को थी मगर इसे इतने वर्षों तक क्यों छुपाया गया,आज भारतीय सरकार उन 39 मृतकों की खोजबीन और dna सेम्पल ,Gen बी के सिंघ ,भारतीय राजदूत ,इराक के अधिकारीयों एवं मार्टीएस फाउंडेशन की उपलब्धि गिनाने में लगी हुई है । टीवी और दैनिक पत्रों में यह बहस का विषय बना हुआ है ,कुछ दिन तक सियासी उबाल बना रहेगा एवं आरोप प्रत्यरोप का दौर चलता रहेगा ,और धीरे धीरे दूसरे मुद्दों की तरह यह भी मुद्दा किसी न किसी कोने में खाली और ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा । मृतकों के परिजन कुछ दिन तक रोते बिलकते अपने मन की भड़ास निकालेंगे ,फिर समय के मरहम के साथ उनका यह घाव सब्र में परिवर्तित होजायेगा , और धीरे धीरे यह घटना भी एक पुरानी याद बन कर रह जायेगी । ऊपर वाला न करे भविष्य में कभी कोई इस तरह की घटना घटित होगी उस समय यह 39 भारतीय नागरिकों की कहानी को इतिहास बना कर दोबारा चर्चा और राजनीत का विषय होगा।

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