भारत के एक बहुत ही प्रतिष्ठित शायरा जिन में विश्व प्रसिद्ध शायरा स्व.प्रवीन शाकिर की छवि और उनके कलाम का अक्स झलकता है .श्रीमती चांदनी पाण्डेय (कानपूर ) की ग़ज़ल की कुछ पंक्तिया पेश खिदमत है .
चांदनी पाण्डेय |
ग़ज़ल
तू मिरी नज़र के हिसार में मिरी रूह तक की गिरफ़्त में
मिरी क़ैद का यही दायरा तिरी आशिक़ी को बढ़ा न दे ।
मिरी शायरी में कसक तिरी मिरी नज़्म तुझपे निसार है
तिरी फ़ुर्क़तों से कलाम है मुझे क़ुर्बतों का पता न दे !!
मुझे इस जहाँ की तलब नही मुझे उस जहाँ की तलब नही
मुझे उसके दिल में जगह मिले मुझे और कोई दुआ न दे !
वो जो एक अजनबी राह में तुझे दे रहा है मुहब्बतें
वही हमसफ़र तुझे "चाँदनी" कहीं रास्ते मे रुला न दे ।
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उसके चेहरे पे नहीं सजती ये दुनयादारी
उस से कह दो वही मासूम सा चेहरा रखे
वो जो मौसम की तरह रोज बदल जाता है
ऐसे हरजाई से उम्मीद कोई क्या रक्खे
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शुक्रिया के साथ : शमीम कमर रेयाज़ी
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