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Monday 19 March 2018

बिहार सरकार की रिक्तियां दिखावा तो नहीं ?

हाथों में डिग्रियां लिए प्रदर्शन करते अभ्यर्थी 
कल मेरे एक मित्र ने हमें एक सन्देश भेजा और वह पश्चमी चंपारण माध्यमिक /उच्च माध्यमिक अनियोजित संघ के अध्यक्ष हैं | नाम उनका धनञ्जय कुमार है , यह लोग २०११ में बिहार सरकार द्वारा निकाली गई S.TET परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे आम अभ्यार्तियों की तरह सरकारी नौकरी पाने की लालसा अपने दिल में पाले अपने उज्जवल भविष्य की पलानिंग कर रहे थे, और अनगिनत सपने उन के मन में जवान हो रहे थे .मगर २०११ से अब तक इन सारे अभ्यार्तियों के सपने पर बिहार सरकार ने पानी फेर दिया आज २०१८ होगये अब तक यह सारे उत्तीर्ण अभ्यार्थी अपने नियोजन एवं नियुक्ति की प्रतीक्षा में सड़कों की ख़ाक छानने को मजबूर बे यार मददगार घूम रहे हैं . 

संघ के अध्यक्ष श्री धंनजय कुमार ने बताया की अब तक सैकड़ों धरना प्रदर्शन और पटना में किये गए हैं और हम केवल अकेले पश्चमी चंपारण के अभ्यार्थी ही नहीं हैं पुरे बिहार में हजारों हम जैसे उत्तीर्ण अभ्यर्थी हैं जो अपनी नियुक्ति की इंतज़ार में हैं सरकार का ध्यान शायद हमारी तरफ जाए और हमें सेवा का अवसर प्रदान किया जाए .श्री धनंजय के आँखों की लकीरें यह फ़साना बयां कर  रही थी की बेरोज़गारी का आलम कितना जान लेवा होता है . 
बिहार सरकार से सवाल :
यहाँ अनगिनत सवाल हमारे मन में पनप रहे हैं , अगर राज्य सरकार इस तरह से सौतेला रवैया अपनाती रहे गी जो हर शिक्षित बेरोज़गार युवाओं का विश्वास सरकार से उठता चला जायेगा , अगर बात की जाए बिहार सरकार में रोज़गार और रिक्तियों की तो आये दिन कहने को हर क्षेत्र में रिक्तियां निकल रही हैं परन्तु परीक्षा के बाद उत्तीर्ण अभ्यर्थी अपनी नौकरी के लिए दरबदर भटक रहे हैं .अगर सरकार को नियुक्ति नहीं करनी है तो रिक्तियां ही क्यों निकाल रही है .एक तो जब भी बिहार में कोई भी रोज़गार के लिए परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है तो पहले ही प्रश्न पत्र लीक होजाता है या परीक्षा ही किसी न किसी कारण केंसिल होजाता है .फॉर्म भरने की फीस की बात की जाए तो पांच सौ से हज़ार रुपया की उगाही से सरकारी खाते में करोड़ों अरबों जमा होजाता है .फिर बंदर बाँट का खेल हो या अनद्र्ग्राउंड नौकरियों की बुकिंग चालु होजाती है और यौग्य एवं प्रतिभाशाली अभ्यर्थी पैसे के आभाव में वंचित रह जाते हैं .
प्रश्नपत्र लीक का सिलसिला .
बिहार में प्रशनपत्र लीक का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है .अभी हाल ही में संपन्न हुए बिहार दारोगा परीक्षा में भी ऐसा ही देखने को मिला है .अब परीक्षा को कैंसिल करने का प्रदर्शन जारी है .पूर्व में भी पूरा देश अवगत है की बिहार में रूपये के बल पर बिहार टोपर का तमगा अपने नाम किया जा सकता है , भ्रष्चार में  सरकारी महकमा का छोटा से बड़ा तक का अधिकारी लिप्त है ,बिना बाबुओं की सेटिंग से यह कार्य संभव नहीं है .और सरकार में सत्ता पे आसीन लोगों को इस बात की पूरी सुचना है फिर भी इन माफियाओं और भ्रष्ट अफसरों पे सरकार लगाम लगाने में असफल है और राजनीति रोटियां सेंकने में हर दल व्यस्त है . (जारी )


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