SANDESH QALAM

क़लम के साथ समझौता नहीं , मुझे लिखना है

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Friday 16 March 2018

तुम्हारे उठते ही क्या होगया यह महफ़िल में :

 स्व. मोहम्मद हारुन "कमर रेयाज़ी " 
 संसार में एक पुत्र पर दुःख का पहाड़ तब टूटता है जब उस के पिता का साया पुत्र के सर से उठ जाए , यह सच है की किसी भी चीज़ का महत्व हम इंसानों को उस समय पता चलता है जब वो चीज़ आप से मीलों दूर चली जाये जहाँ से दोबारा उस के वापस आने की आशा रखना बेकार हो .पिता ही संसार का एक ऐसा महा पुरुष है जो अपने से अधिक सफल अपने बेटों को देखने की तमन्ना और सपना अपनी आँखों में संजोये दिन रात मेहनत मजदूरी कर के अपने पुत्र को अपने से आगे बढ़ते देखना चाहता है ,यह खूबियाँ केवल एक पिता के अन्दर ही ऊपर वाले ने दिया है .जैसे जैसे पिता अपने बच्चों को उम्र के साथ बढ़ते देखता है- वह खुद को अपने बच्चों में जवान होते देखता है ,और वह अरमान ,सपने जो अपने जीवन में स्वयं पूर्ण नही कर सका अपनी औलाद में उन खवाबों की ताबीर तलाशता फिरता है .उन में कुछ सपने पूरा होपाते हैं, और कुछ हसरत एवं अरमान लिए पिता परलोक सिधार जाता है .
मेरे पिता श्री मो .हारून कमर रेयाज़ी भी उन्ही सभी पिताओं की तरह एक पिता थे ,मगर वह बहुत विशेष थे सब के लिए ,एक शिक्षित ,साहित्यकार ,शायर ,वक्ता ,एक मंच संचालक ,वो एक बहुमुखी प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे .उन की सोच में पूरा समाज दिखता था सामाजिकता तो उनके वजूद का हिस्सा था ,आज उनको मुझ से दूर होए तीन वर्ष बीत चूके है परन्तु हमारे जीवन का हर पल उन के बिना सुना सुना सा है .उनकी यादें जीवन का हिस्सा बन कर रह गई है .विश्वास ही नही होता की कोई ऐसे इतना दूर कैसे चला जाता है जहाँ से वह अपनों की आवाज़ और दर्द सुनकर भी वापस न आ सके ,मित्रों आप के पिता अगर जीवित हैं तो अपना स्वर्ग उन में खोजिये और समय रहते उनकी कद्र कीजिये .............धन्येवाद 

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