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क़लम के साथ समझौता नहीं , मुझे लिखना है

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Monday 2 April 2018

नफरतें बेच के कुछ नहीं मिलने वाला :


मैं और तुम गर "हम " होजाते : शमीम क़मर रेयाज़ी 

विश्व का सब से बड़ा लोकतान्त्रिक देश जहाँ पर विश्व में सब से अधिक धर्म के मानने वाले ,जहाँ सब से अधिक भाषाएँ बोली जाती हों ,जहाँ की संस्कृति विश्व को समाज में जीने का सलीका सिखाती हो , जहाँ एक साथ सभी समुदाय के लोग एक दुसरे के पर्व एंव त्योहारों में एकजुट होकर हर्ष के साथ मोहब्बत का पैगाम बांटते हों . अगर उस देश में संपर्दायिक हिंसा की बात अगर कानों में गूंजे तो बड़ी तकलीफ और दुःख का एहसास होता है की हम भारतवासी जो दुसरे को सामाजिकता एव मानवता का पाठ पढ़ाते हों हम भारतवासी दुसरे देशों को सामाजिकता का ज्ञान अपने देश का उद्धारण के साथ देते हों , आज वही देश राजनिती का शिकार धार्मिक जंग में लिप्त हो और जहाँ पर बेगुनाह इंसानों का खून बहाया जा रहा हो केवल इस कारण से की वह हमारे समुदाय से नहीं है.यह सोच हमें उस स्थान पर पहुंचा देगी जिसकी कल्पना देश का कोई समुदाय नहीं कर सकता है .

बिहार और हिंसा :

बिहार में गत कई वर्षों से धार्मिक फसाद देखने को नहीं मिला था और बिहार एक शांत राज्य के गिनती में तुलना की तुलना की जा रही थी , परन्तु बीते राम नवमी के त्यौहार में जिस तरह से नफरत का रंग राम जैसे देवता को शर्मसार करने का जो कार्य किया गया की अगर भगवन राम जीवित होते तो उन्हें भी आज अपने भक्तों को देख अफ़सोस होता , जिस तरह से श्री रामनवमी के दिन शोभा यात्रा की आड़ में संप्रदायिक दंगे को जन्म दिया गया ,उस से देख यह साबित होता है की श्री रामनवमी की शोभा यात्रा में भगवान श्री राम में आस्था की बात कम थी धार्मिक जंग की तय्यारी जादा थी , जिस प्रकार सरे आम अपने आपको राम के भक्त कहने वालों की हाथों में मोटी मोटी तलवारे लहरा रही थी इस का उधारन है की भक्तगणों का मकसद शोभा यात्रा के बहाने बिहार राज्य में अशांति फैलाना था.भक्तजनों ने शोभा यात्रा के नाम पर धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जगह जगह आगज़नी की ,पत्थर बाज़ी यह हमारी सभ्यता और भारतीय संस्कृति के विरुध्य कार्य था या नहीं , यह उस भगवान राम की शोभा यात्रा थी जिन का जन्म ही लोक कल्याण के लिए हुआ था ,उस भगवान राम को भी हिंसात्मक चरित्र का बना कर पेश किया गया , और इस हिंसात्मक यात्रा में राज्य सरकार की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है , 

बिहार सरकार की बेबसी :

जिस प्रकार बिहार के कई जिलों में फसाद हुए ,जिस में इंसानी खून भी बहाया गया , बिहार सरकार के पास जब यह सुचना थी की के रामनवमी पर इस तरह की घटना हो सकती है तो सरकार ने इस खुनी खेल को रोकने के लिए उचित कार्यवाही क्यों नहीं की ? क्यों सरे आम दंगाइयों को खुले आम रोड पे तांडव करने दिया ? प्रशासन क्यों बेबस थी ,क्या सुशासन बाबू को अपनी कुर्सी की फ़िक्र सता रही थी ? ऐसे अनगिनत प्रश्न हैं जिस का उत्तर वर्तमान बीजेपी गठबंधन सरकार नहीं दे सकती , यह सब जानते हैं विश्लेसन की आवश्यकता नहीं है . नितीश कुमार जैसे मुख्यमंत्री की सरकार ने घुटने टेक दिए , वह नितीश कुमार जिस की अंतरात्मा आज मोन है , खुले आम मंत्री का पुत्र संप्रदायिक दंगा भडकाता है जिस में मानवता का खून बहता है , उस का पिता टीवी पर खुले आम बोलता है की भारत की पुलिस का FIR रद्दी का टुकड़ा है ,क्यों श्री अश्वनी चौबे जैसे राजनेता प्रशासन को अपनी जोते की नोक पर रखते हैं ? क्या भारतीय न्यायपालिका इतनी बेबस हो गई है ? 

नफरत बनाम मोहब्बत 

आज हिंदुत्व के नाम पर देश की एकता अखंडता को खंडित करने का प्रयास जिस प्रकार अंधभक्तों द्वारा किया जा रहा है इस से किसी भी समुदाय को लाभ नहीं मिलने वाला है , आप कुर्बान जाईये उस आसनसोल के इमाम पर जिस ने अपने बेटे की लहू बहाने वालों से यह आग्रह करता है की हम ने अपना पुत्र खोया है अब और हिंसा नहीं हो जिस में फिर किसी के पुत्र को किसी के भाई को किसी के पति को अपने खून की आहुति देनी पड़े ,आज आवश्यकता है हमें नफरतों को भुलाकर मोहब्बत का एक सन्देश दिया जाये , समाज में मोहब्बत प्रेम को आम किया जाए ,नफरत से केवल नफरत खरीदी जा सकती है मोहब्बत नहीं ,जब तक प्रेम एक दूजे के दिलों में नहीं होगा ,हमारा देश ,हमारा समाज , घर परिवार कोई भी विकास के पथ पर नहीं आ सकता .

अभी समय नहीं बीता है :

अभी भी समय नहीं बीता है ,हम और आप मिल कर अपने इस देश को समाज को मोहब्बत ,आपसी प्रेम के बल पर फिर वही गंगा जमुनी तहज़ीब वाल भारत बना सकते है ,उस के लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा हमें अपने धर्म से ज्यादा मानवता के धर्म को अपनाना होगा और एक एहसास अपने दिलों में पालना होगा की सभी धर्मों से ऊपर इंसानियत का धर्म है ,खून किसी का बहे वह मानवता का होता है हमें दर्द एवं पीढ़ा महसूस करनी होगी ,एक दुसरे के सुख दुःख में साथ देना होगा ,हम साथ साथ सदियों से हैं आज मैं और तुम  को दिलों से मिटाना होगा मैं और तुम की जगह "हम " होने का प्रयास करना होगा तब जाकर हम आज के भारत को नया भारत बना पायेंगे ::::::::::

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